भोपाल, अपनी खबर / अमिताभ पाण्डेय

आज सुप्रीम कोर्ट सहित पूरे देश में भीड़ की हिंसा के प्रति चिंता जाहिर की जा रही है, तब पूर्व में हिंसक भीड़ का शिकार हुए बैतूल में रह रहे पारधी परिवारों को बैतूल पुलिस के नगर निरीक्षक सुनील लाटा पुन: दस गाँव भीड़ इकठ्ठा करवा कर मरवा देने एवं बस्ती में आग लगवा दिए जाने की धमकी दे रहे है| समाजवादी जन परिषद, पारधी पुनर्वास संघ एवं शहरी मजदूर संगठन ने कहा कि मुलताई थाना छेत्र में पारधी बस्ती चौथिया को 2007 में जला दिया गया था; एवं दो लोगों की हत्या और दस महिलाओं का बालात्कार हुआ था|इस बस्ती में बालात्कार पीड़ित दस पारधी महिलाओं के साथ हत्या के शिकार दम्पती डोदले एवं बोंदरू के बच्चे भी रहते है|वो सब दहशत में है| सुनील लाटा यह सब राजनैतिक संरक्षण में कर रहे  है; जिससे: एक तो, पारधी अपने न्याय की लड़ाई नहीं लड़ पाएं; और दूसरा, चुनाव में भाग ना ले सके| सुनील लाटा का कहना है: अगर पारधी वर्तमान बस्ती खाली कर शहर के बहार नहीं गएऔर यहाँ रहकर चुनाव लड़ने की कोशिश की, तो उन्हें बख्शा नही जाएगा|

पिछले 6 दिनों में चार बार बस्ती में आकर, वो इस तरह की धमकी दे चुके है| वो यह सब राजनैतिक संरक्षण में कर रहे है|इस मामले में जहाँ भाजप और कांग्रेस के नेताओं सहित मुलताई के दो पूर्व विधायक (सुखदेव पांसे एवं सुनीलम) दोषी है; वहीं इस मामले में बैतूल के वर्तमान विधायक (हेमंत खंडेलवाल) सहित पुलिस एवं राजस्व अधिकारीयों को दोषी बनाने संबंधी याचिका सी बी आई कोर्ट एवं जबलपुर उच्च न्यायालय में लंबित है| जान से मरवा देने एवं उनकी बस्ती में आग लगवा देने की यह धमकी देने वाले बैतूल पुलिस के नगर निरीक्षक सुनील लाटा के खिलाफ कार्यवाही एवं सुरक्षा की मांग करते हुए आज इन संगठनो का प्रतिनिधी मंडल मुख्य निर्वाचन पधाधिकारी म. प्र, राज्य मानव अधिकार आयोग सहित मुख्य मंत्री एवं डी जी पी को मिलकर ज्ञापन सौपेंगा|यह पीड़ित पारधी पहले से ही 2003 और फिर 2007 में भीड़ की हिंसा का शिकार हो चुके है; इसमें जहाँ इनकी बस्ती पूरी तरह जल गई थी वहीं 5 लोगों की जान भी गई थी| और, आज जब देश में चारों तरफ भीड़ की हिंसा का माहौल है, तब पुलिस व्दारा इस तरह की खुले-आम धमकी देने से उनकी जान को खतरा बढ़ गया है|

आज एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए इन संगठनों ने बताया कि, बैतूल की गंदी बस्ती में रहने वाले यह पारधी समुदाय के लोग 2007 में बैतूल के मुलताई थाने के चौथिया गाँव में पारधी बस्ती के निवासी राजनेताओं व्दारा भड़काई भीड़ की हिंसा का शिकार हुए थे| जहाँ भीड़ ने ८० घर की पूरी बस्ती को आग के हवाले कर दिया था, वहीं पूर्व रात दस महिलाओं के साथ बालात्कार हुआ था एवं घटना के दिन एक दम्पती की हत्या कर दी गई थी| इस मामले को दबाने की बैतूल पुलिस ने पूरी कोशिश की गई थी| लेकिन, समाजवादी जन परिषद के वर्तमान राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुराग मोदी व्दारा जबलपुर हाई कोर्ट में जनहित याचिका में आदेश के बाद सी बी आई ने इस मामले की जाँच की थी|
आगजनी हिंसा, बालात्कार एवं हत्या के शिकार हुए यह पीड़ित 80 पारधी परिवार न्याय एवं पुनर्वास की आस में  पिछले 11 साल से बैतूल शहर में अपनी एक गंदी बस्ती बना रह रहे है| जहाँ दोषी नेताओं पुलिस अफसरों के खिलाफ मामला सी बी आई कोर्ट, जबलपुर में लंबित है| वहीं उनके पुर्नवास के मामले में अवमानना याचिका जबलपुर हाई कोर्ट में लंबित है|

ज्ञात हो कि,पुनर्वास के मामले एक अलसिया व्दारा दायर एक अवमानना प्रकरण मान. उच्च न्यायालय, जबलपुर के समक्ष,प्रकरण क्रं. - “CONC - 677-2016, (अल्सिया पारधी विरुद्ध श्री शशांक मिश्र, कलेक्टर बैतूल), सुनवाई में लंबित है|

इसके साथ ही बालात्कार के बाद अपने पति बोंदरू के साथ मारी गई ड़ोदेल बाई के लड़के नारद  और अन्य प्रत्यक्षदर्शी गवाहों लंगड़  के सी बी आई  कोर्ट में हुए बयान के आधार पर तात्कालीन मुलताई विधायक सुखदेव पांसे, भाजप के बैतूल जिला पंचायत अध्यक्ष राजा पवांर, एवं तात्कालीन एस डी ओ. पी डी. के. साकल्ले को इस मामले आरोपी बनाने को लेकर अलसिया पारधी का सी आर पी सी की धारा की 319 के तहत दिया आवेदन निर्णय हेतु सी बी आई कोर्ट में लंबित है|

वर्तमान भाजप विधायक हेमंत खंडेलवाल सहित पूर्व राजस्व मंत्री कमल पटेल एवं तात्कालीन बैतूल कलेक्टर अरुण भट्ट सहित उस समय के मुलताई एस डी एम, तहसीलदार एवं अन्य नेताओ और अफसरों को 11 सितम्बर 2007 को मुलताई के चौथिया ग्राम में हुई आगजनी और लूट की घटना में आरोपी बनाने के लिए अलसिया पारधी ने जबलपुर हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका लगा रखी है|
(अनाम आलेख सेवा)

Source : अमिताभ पाण्डेय